शुक्रिया महावीर जी, मेरी ग़ज़ल को इस लायक समझने का कि इसे आपने अपने ब्लाग पर जगह दी।
हाँ Internet Explorer से प्लेयर नहीं खुला, न ही लिंक। Firefox काम कर रहा है। वैसे अगर सुनने का मनसूबा बना ही लिया हो किसी ने, IE से तो शायद ये लिंक काम कर जाये-
बस इसे कापी-पेस्ट कर लें browser पे और सुन लें..और बाद में पछतायें अगर तो मुझे मत कोसियेगा फिर 🙂
बहुत संभावनाएँ हैं आपमें ग़ज़ल लेखन की, सफ़र लम्बा रहने की उम्मीद और दुआ है।
इस ग़ज़ल के मतले पर थोड़ा काम करने की ज़रूरत है, “कुछ यूँ” से एक मात्रा बढ़ रही है जो गाने में एडजस्ट की जा सकती है मगर “ल ला” की जगह “ल ल ला” अपने आप में दोष तो है ही।
शुभकामनाएँ!
मखमली आवाज़ में बहोत ही भावपूर्ण ग़ज़ल ,वाह ढेरो बधाई आप सबों को
जितनी खूबसूरत ग़ज़ल उतनी ही मधुर आवाज…याने सोने पे सुहागा….बहुत बहुत शुक्रिया महावीर जी इस प्रस्तुति का…
नीरज
बहुत खूब! बहुत् अच्छा लगा मानसी की यह रचना उनकी ही आवाज् में सुनकर! उनको अपनी हर कविता पाडकास्ट करनी चाहिये!
मानोशी सुँदर गातीँ हैँ और लिखतीँ भी हैँ
आदरणीय महावीर जी, शुक्रिया इस प्रविष्टी का 🙂
शुक्रिया महावीर जी, मेरी ग़ज़ल को इस लायक समझने का कि इसे आपने अपने ब्लाग पर जगह दी।
हाँ Internet Explorer से प्लेयर नहीं खुला, न ही लिंक। Firefox काम कर रहा है। वैसे अगर सुनने का मनसूबा बना ही लिया हो किसी ने, IE से तो शायद ये लिंक काम कर जाये-
बस इसे कापी-पेस्ट कर लें browser पे और सुन लें..और बाद में पछतायें अगर तो मुझे मत कोसियेगा फिर 🙂
[audio src="http://www.freewebs.com/cmanoshi/dua%20mein%20meri-%20new.mp3" /]
नीरज जी, लावण्य जी, अर्श साहब और अनूप…इसे पसंद करने का धन्यवाद।
ACHCHHEE GAZAL KE LIYE MANOSHEE JEE KO BADHAAEE.
बहुत संभावनाएँ हैं आपमें ग़ज़ल लेखन की, सफ़र लम्बा रहने की उम्मीद और दुआ है।
इस ग़ज़ल के मतले पर थोड़ा काम करने की ज़रूरत है, “कुछ यूँ” से एक मात्रा बढ़ रही है जो गाने में एडजस्ट की जा सकती है मगर “ल ला” की जगह “ल ल ला” अपने आप में दोष तो है ही।
शुभकामनाएँ!
bahut bhaav ke saath gaati aur likhti hai aap…..