सीमा गुप्ता की दो कविताएं

मृगतृष्णा
कैसी ये मृगतृष्णा मेरी
ढूँढ़ा तुमको तकदीरों में
चन्दा की सब तहरीरों में
हाथों की धुँधली लकीरों में
मौजूद हो तुम मौजूद हो तुम
इन आंखों की तस्वीरों में
कैसी ये ………………….
अम्बर के झिलमिल तारों में
सावन में रिमझिम फुहारों में
लहरों के उजले किनारों में
तुमको पाया तुमको पाया
प्रेम-विरह अश्रुधारों में
कैसी ये…………………….
ढूँढ़ा तुमको दिन रातों में
ख्वाबों ख्यालों जज्बातों में
उलझे से कुछ सवालातों में
बसते हो तुम बसते हो तुम
साँसों की लय में बातों में
कैसी ये……………………..
ढूँढी सब खमोश अदायें
गुमसुम खोयी खोयी सदायें
बोझिल साँसें गर्म हवायें
मुझे दिखे तुम मुझे दिखे तुम
हर्फ बने जब उठी दुआयें
कैसी ये मृगतृष्णा मेरी
“यादें”
सीमा गुप्ता
बहुत रुला जाती हैं , दिल को जला जातीं हैं ,
नीदों मे जगा जाती हैं , कितना तड़पा जातीं हैं ,
“यादें” जब भी आती हैं ”
भीगे भीगे अल्फाजों को , लबों पर लाकर ,
दिल के जज्बातों को , फ़िर से दोहरा जाती हैं ,
“यादें जब भी आती हैं ”
खाली अन्ध्यारे मन के , हर एक कोने में ,
बीते लम्हों के टूटे मोती , बिखरा जाती हैं ,
“यादें जब भी आती है ”
हम पे जो गुजरी थी , उन सारी तकलीफों के ,
दिल मे दबे हुए , शोलों को भड़का जाती हैं ,
“यादें जब भी आती हैं ”
कितना सता जाती हैं , दीवाना बना जाती हैं ,
हर जख्म दुखा जाती हैं , फिर तन्हा कर जाती हैं ,
“यादें जब भी आती हैं”
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Posted by महावीर on दिसम्बर 10, 2008 at 1:56 अपराह्न
Filed under कविता, सीमा गुप्ता  |
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सीमा गुप्ता जी का ‘महावीर’ ब्लॉग पर हार्दिक अभिनंदन।
आपकी कविताओं में कशिश है, भावनाओं से ओत-प्रोत,
मन की व्यथा उजागर करती हुई सुंदर शब्दों के सहारे
मन को छू जाती हैं।
महावीर शर्मा
बहुत ही सुंदर बिंदास रचना जो मर्म को छू जाती है .धन्यवाद.
waah bahut hi sundar bhav
सीमा जी की रचनाओं के तो हम यूँ भी कायल है..जबरदस्त शब्द संयोजन और भावनाओं से ओत प्रोत रचनाऐं स्वतः ही दिल में तरलता से उतर जाती है. महावीर ब्लॉग पर आना वो डिजर्व करती हैं. आपका आभार.
bahot khub seema ji ke kavitawon ka to ese hi main murid hun… upar se mahavir ji ki ye prastuti aur bhi behatar… aap dono ko dhero badhai….
regards
arsh
आदरणीय शर्मा साहेब,
बड़ा आभार आपका सीमाजी की अतिसुन्दर रचनाओं को प्रस्तुत करने के लिए. आप मोहतरमां तो बयां के बाहर फ़ित्रत पेश कर चली हैं, सारा ब्ला॓ग्जगत इन्हें बेइन्तेहां पसन्द करता है. देखिये मेरा तो मानना है के आगे चलकर ये बेहतरीन गुल्द्स्ता साबित होंगी ब्ला॓ग सहित्य जगत के लिये. आमीन.
sundar kavitaa,sundar photograph,isliye sundar aur dher si badhai….
MAHAVIR JEE,
AAPKE BLOG PAR AANAA BADAA HEE SUKHAD LAGTA HAI.AAP HAR
RACHNAKAAR KEE RACHNA BADEE AATMIATAA SE PRASTUT KARTE HAIN.
RACHNAKAAR KEE PRASHANSHAA MEIN JAB JAB AAPKE MEETHEE-MEETHEE
SHABD PADHNE KO MILTE HAIN TO MUN JHOOM UTHTAA HAI.
SEEMA GUPTA KISEE TAREEF KEE MOHTAAZ NAHIN HAIN.UNKEE
RACHNAON MEIN PYAAR CHHIPA HAI,PYAAR KE SAATH-SAATH DARD BHEE.
DARASL YE PYAAR AUR YE DARD YUG-YUG SE CHALAA AA RAHAA HAI HAR
KAVI MEIN.SEEMA GUPTA KEE RACHNAON KO PADH KAR KAVIVAR SUMITRA
NANDAN PANT KEE YE PANKTIAN YAAD AA JAATEE HAIN–
VIYOGEE HOGAA PAHLAA KAVI AAH SE UPJAA HOGAA GAAN
NIKALKAR AANKHON SE CHUCHAAP BAHEE HOGEE KAVITA ANJAAN
SEEMA GUPTA MAHADEVI VERMA KEE TARAH HEE MAHAAN
KAVYITRI BAN SAKTEE HAI BASHARTE CHHANDON KAA GYAAN UNKO HO JAAYE.
SEEMA GUPTA JEE KEE DONO RACHNAAYEN MUN KO BHAPOOR
CHHOTEE HAIN.HAAN,ZAZBAAT AUR ALFAAZ SHABDON KAA PRAYOG GALAT
HUA HAI ZAZBAATON AUR ALFAAZON KE ROOP MEIN UNKEE RACHNAAON MEIN.
SEEMA GUPTA JEE SE BAHUT ASHAYEN HAIN.
सीमा जी की रचनाओं के हम पुराने प्रशंशक हैं…उनकी रचनाएँ दिल से लिखी जाती हैं और सीधे दिल में प्रवेश कर जाती हैं…आप के ब्लॉग पर उन्हें पढ़ कर बहुत आनंद आया..आप का शुक्रिया…
नीरज
आदरणीय महावीर जी,
आप नायाब मोती चुन कर हमेँ पढवाते हैँ
सीमाजी की कविताओँ को पढना भी सुखद रहा –
आप दोनोँ को हार्दिक बधाई
स स्नेह, सादर,
– लावण्या
आदरणीय महावीर जी, ‘महावीर’ ब्लॉग पर मेरी रचनाओं को अमूल्य स्थान देकर आपने मुझे जो मान सम्मान दिया है, उसके लिए मै दिल से आभारी हूँ , आप के आशीर्वाद ने हमेशा ही मुझे प्रोत्साहन दिया है , क्रप्या ये स्नेह और अपना आशीर्वाद हमेशा बनाए रखें.”
regards
“आदरणीय mahinder mishra je, mehek, sameer lal je, arsh, bavaal, Vidhu,Pran sharma je, Neeraj je, lavanya je, आप सभी माननीय की यहाँ उपस्तिथि से मै भावः भिवोर हूँ ….आप सभी ने हमेशा ही मुझे और मेरे लेखन को अपने विचारों और आशीर्वाद से प्रोत्सिहित किया है ….मै जानती हूँ अभी बहुत सी कमियों जैसा की आदरणीय प्राण जी ने बताया है उनको मुझे दूर करना है , मुझे उम्मीद है की एक दिन मै आप सभी की उम्मीद पर खरी उतर जाउंगी… आप सभी के आशीर्वाद और सहयोग के लिए दिल से आभार “
bahut acchi rachanayen seema ji ki lekhni se
बहुत भावपूर्ण !
इन कविताओं को पढकर दिल खुश हो गया महावीर जी और सीमा जी को बधाई साथ में धन्यवाद भी दूंगा इतनी अच्छी कविताओं को पढवाने के लिए
बहुत flow और सरलता है दोनों ही कृतियों में!
” Makrand je, Dr arvind mishra je, Mohan Je, vinay thanks a lot for your presence over here along with your blessings”
regards
बहुत रुला जाती हैं , दिल को जला जातीं हैं ,
नीदों मे जगा जाती हैं , कितना तड़पा जातीं हैं ,
“यादें” जब भी आती हैं ”
Seena ji abhut hi bhav se bharpoor satya ko samne rakha hai aur sunder shabdon mein bunkar.
Main Mahavirji ko badhayi deti hoon is prayaas ke liye jo sahitya ke madhyam se hum dudte chale ja rahe hain
Devi Nangrani
Devi Nangrani jee, aapka yhan aana , or muje protsahan daina, maire liye kise reward se kam nahi hai…..dil se shukrgujar hun.
regards
bahut badiya seemaji. mrigtrasna main bhavnaon ka bahav bahut hi saral or manbhavan.
badhai.
@Shivraj gujar ji, aapke protsahan ka bhut bhut shukriya”
regards
bahut hi achhi rachna lagi,is blog par seema ji ko dekhkar bahut khushi hui
@ rashmi je aapkaa bhut aabhar.
regards
your blog is too nice come n also watch me if u have some little time.
many many congrats.
thanks Alka, thanks sure
regards