उषा राजे सक्सेना – एक संवेदनशील कहानीकार

उषा राजे सक्सेना – एक संवेदनशील कहानीकार

नेहरू सैंटर, लंदन में ३० मई २००८ उषा राजे सक्सेना की कहानी संग्रह
‘वह रात और अन्य कहानियां’ के लोकार्पण के समय पर पढ़ा गया लेखः
– प्राण शर्मा

हिंदी कहानी में कुछ दशकों से कई रूप बदले हैं। उसे कभी नई कहानी, कभी प्रतीकात्मक कहानी, कभी सक्रिय कहानी, कभी सचेतन कहानी, कभी समांतर कहानी, कभी अकहानी और कभी प्रयोगवादी कहानी न जाने कितने आंदोलनों से गुज़रना पड़ा है। एक ऐसा वक़्त भी आया जब कहानी में अन्तर्वस्तु जैसा कुछ नहीं था। न कथानक और न ही किस्सागोई। यदि उसमें कुछ था तो केवल बौद्धिकता और दुरूहता। पठनीयता, मार्मिकता, गठन और सम्प्रेषणीयता जो कहानी के मुख्य गुण हैं, कहानी के एक सिरे से ही गायब हो गये। इसके अभाव में कहानी भटके हुए मुसाफ़िर की तरह लगने लगी। पाठक बस या ट्रेन में अपने सफ़र को सुखद बनाने के लिए बुकस्टाल से कहानी पत्रिका खरीदता लेकिन पढ़ने को उसे नीरस और दिलउबाऊ कहानियां मिलती। कहानीकार यह भूल गया कि कहानी वह होती है जिसमे पढ़ने वाली कोई बात हो, कोई किस्सा हो जो पढ़ने वाले को बांध ले।वह कहानी ही क्या जो मन को छू न सके। कहानी पढ़ कर लगने लगा कि जैसे कहानीकार ने कहानी पाठक की सन्तुष्टि के लिए नहीं बल्कि अपनी सन्तुष्टि के लिए लिखी है। परिणाम यह निकला कि कहानी पाठक से दूर हो गई और पाठक कहानी से दूर हो गया।

सुखद की बात यह है कि कुछेक सालों से कहानी में फिर से सजीवता आयी है। कहानी लेखक ऐसे-ऐसे विषय लेकर आ रहे हैं जिसमें कथावस्तु है, किस्सा गोई है। थोथे प्रयोगों के बोझ से मुक्त हो कर कहानी फिर से सांस लेने लगी है।

जीवंत विषयों को अपनी कहानियों में ढालने वाली ऐसी ही एक सशक्त कहानीकार हैं – उषा राजे सक्सेना। हाल ही में सामयिक प्रकाशन ने इनका कहानी संग्रह प्रकाशित किया है। कहानी संग्रह का नाम है – ‘वह रात और अन्य कहानियां’। संग्रह में दस कहानियां हैं, सब की सब मन को छूने वाली। वे हिंदी कथा साहित्य में लिखी जा रही अच्छी कहानियों से कतई कम नहीं हैं। सच तो यह है कि वे अंग्रेजी कथा साहित्य में लिखी जा रही अच्छी कहानियों से भी कतई कम नहीं है। ‘एलोरा’, डैडी’, ‘तीन तिलंगे’, ‘वह रात’ आदि कहानियों ने उषा राजे सक्सेना को उच्च श्रेणी के कहानीकारों में ला खड़ा किया है। जादू वह जो सर पर चढ़ कर बोलता है। उषा राजे सक्सेना की कहानियां सर पर चढ़ कर बोलती ही नहीं बल्कि दिल की गहराइयों में उतरती भी हैं।

उषा राजे सक्सेना ने लगन, परिश्रम और अभ्यास के बलबूते पर जो ऊंचा स्थान हिंदी कथा साहित्य में बनाया है, वह बहुत ही कम कहानीकार बना पाते हैं। चंद सालों में अच्छी से अच्छी कहानी देना उषा राजे सक्सेना की एक बड़ी उपलब्धि है। कुछ साल
पहले ही मैंने इनकी एक कहानी – ‘एक मुलाकात’ पढ़ी थी। कहानी क्या थी – एक जीतीजागती संवेदना थी। हालात पत्थर दिल को भी मोम जैसा बना देते हैं – कहानी का थीम था। कहानी का सजीव चित्रण मैं आज भी नहीं भूला हूं। आज भी वह मेरे मन पर अंकित है।

उषा राजे सक्सेना आज एक ऐसी कहानीकार हैं जिन्होंने हिंदी कथा साहित्य को नयी से नयी कथावस्तु दी है, नयी से नयी भाषा दी है, नये से नये मुहावरे दिये हैं और नया सा नया शिल्प दिया है। इनकी कहानियों के विषय प्रायः यू.के. से जुड़े हुए हैं, मतलब यह है कि इनकी कहानियां ब्रिटेन के हर तबके के आदमी के जीवन का लेखा-जोखा है। इनकी कहानियों में ब्रिटेन के हर तबके के आदमी का सुख-दुख और उनकी आशा-निराशा है। ब्रतानवी परिवेश में लिखी गयी जितनी कहानियां इनकी हैं शायद ही किसी अन्य कहानीकार की हों।

‘एलोरा’ कहानी में जहां समाज में सर उठाकर चलने वाली एलोरा जैसा कैरेक्टर है ‘शर्ली सिम्पसन शतुरमुर्ग है’ कहानी में वही जीवन के सुख-दुख से समझौता करने वाली शर्ली सिम्पसन जैसा कैरेक्टर है। ‘सलीना तो शादी करना चाहती थी’ कहानी में जहां एक दूजे के लिए सलीना और बुखारी का त्याग है ‘रिश्ते’ कहानी में वही ज़िद्दी बाप-बेटी का बिछुड़ना और पुनर्मिलन है। ‘डैडी’ कहानी में जहां बरसों बाद मिले बाप-बेटी का सुखद संवाद है ‘अस्सी हूरें’ कहानी में वहीं आतंकवाद से उपजा दुखांत है। ‘तीन तिलंगे’ कहानी में जहां भविष्य को सुधारने का संकल्प करने वाले डोल मनी पर निर्वाह कर रहे तीन तिलंगों की आपबीती है ‘वह रात’ कहानी में वहीं दौलत के लिए एंजला की हवस है और मां की ममता को तरसते हए एनिस औ मार्क की छटपटाहट है।

‘वह रात —-‘ कहानी संग्रह की सभी कहानियों के पीछे उषा राजे सक्सेना का व्यापक अनुभव है। ढेरों सामाजिक चैरिटेबल कार्य करना, समय-समय पर लम्बी-लम्बी पानी विश्वयात्रा पर निकलना, विश्व सभ्यता और संस्कृति के विवध पहुलुओं को जानना और समझना, लंदन बोरो आफ् मर्टन के स्कूलों में मनोविज्ञान पढ़ाना और हिंदी के प्रचार-प्रसार में हमेशा करिबद्ध होना ये सभी अनुभव उषा राजे सक्सेना के कहानी लेखन में देखे जा सकते हैं।

उषा राजे सक्सेना आज कथा साहित्य में ऐसे मुकाम पर हैं जिसको पाने के लिए हर कथाकार सदैव आकांक्षी रहता है। उषा राजे सक्सेना की सभी कहानियों के विषय भिन्न हैं। उनमें विविधता है। कहीं दोहराव नहीं है। जिस कहानीकार की एक कहानी उसकी दूसरी कहानी से मेल खाती है, वह कहानी ही क्या?

उषा राजे सक्सेना एक सशक्त कहानीकार हैं । इनकी कहानियां युग और परिवेश की सच्ची इहचान है। इनकी कहानियां पाठक से रिश्ता जोड़ती हैं, उनमें संवेदना जगाती हैं। उषा राजे की कहनियों में अर मानवीय संवेदना का समावेश है तो उसका एकमात्र कारण उषा राजे सक्सेना के स्वभाव का संवेदनाशील होना है। ऐसी संवेदनशील कहानीकार की कहानियों के बारे में विद्वान लेखक शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव का कथन कितना सटीक है -“ब्रिटेन में एक नयी ऊंचाई देने में जिन कलमों का उल्लेखनीय भूमिक रही है उनमें एक सशक्त कलम है – उषा राजे सक्सेना की कलम——। एक बहु सांस्कृतिक, उन्मुकत, सम्पन्न और गतिशील समाज में व्यक्ति की पीड़ा क्या होती है, उसका रीतापन क्या होता है, सम्बंधों का तीतापन क्या होता है, एकांत का सुख और दुख कया होता है इन्हें जानने और समझने के लिए उषा राजे सक्सेना की कहानियों को ग़ौर से पढ़ने की ज़रूरत है।”

अंत में, कहानियों के बारे में पद्य में मेरी संक्षिप्त टिप्पणी है –

हर कतरा पानी है
‘वह रात’ की पुस्तक का
हर शब्द कहानी है
हर राज़ को खोलता है
हर शब्द कहानी का
सर चढ़ कर बोलता है
प्राण शर्मा

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पुस्तकः वह रात और अन्य कहानियाँ
लेखिकाः उषा राजे सक्सेना
प्रकाशकः सामायिक प्रकाशन (श्री महेश भारद्वाज)
3320-21
जटवाड़ा, नेताजी सुभाष मार्ग
दरियागंज- नई दिल्ली, भारत
मोबाइल. 919811607086
मूल्य 5 पाउँड या 10 अमेरिकन डालर
भारत-200 रुपए

9 Comments »

  1. 1
    balkishan Says:

    मौका मिला तो जरुर पढेंगे इस अद्भुत कहानिकारा को.
    जानकारी के लिए आपका आभार.

  2. बहुत आभार इस जानकारी का. कोशिश करके जरुर पढ़ेंगे.

  3. उषाजी की कहानियोँ के बारे मेँ बहुत तारीफ सुनी है !
    आप ने हिन्दी ब्लोग जगत से परिचय करवाया उसका शुक्रिया
    सादर,स स्नेह
    – लावण्या

  4. उष जी के बारे में पढ कर अच्छा लगा। आप इस उम्र में भी इतनी तन्मयता से लेखन कर रहे हैं, यह खुशी की बात है। हमारा सलाम स्वीकारें।

  5. 5

    विज्ञान कथा-[साइंस फिक्शन] की चर्चा कहीं नही होती.
    सादर ,

  6. 6

    एक बहुत सधा हुआ बढ़िया लेख .. ऊषा जी के बारे में जानकर अच्छा लगा ..
    पढ़कर और अच्छा लगेगा 🙂 भाग्य सही रहा तो ऊषा जी को पढने का अवसर अवश्य मिलेगा

    नीरज

  7. 7

    आदरणीय प्राण साहेब
    प्रणाम
    उषा राजे जी और उनकी कहानियो के बारे में आप ने जिस नपे तुले अंदाज़ से जिक्र किया है उसके बाद हर सुधि पाठक के मन में इस पुस्तक को पढने की बात आना स्वाभाविक है. आप ने सच कहा आज कल कहानी के नाम पर जो कुछ पाठकों को परोसा जा रहा है उसे देख कर कहानियो से विमुख होना स्वाभाविक है. ऐसे में उषा जी की कहानियाँ लगता है खुशबू दार हवा के झोंके कि तरह आयीं हैं. मुझे अगर हो सके तो बताएं कि उनकी ये किताब भारत में कहाँ से मिल सकती है.
    महावीर जी के प्रति हम कृतज्ञ हैं जिन्होंने आप के उषा जी और उनकी पुस्तक के प्रति कहे गए उदगारों से हमारा परिचय करवाया.
    नीरज

  8. बहुत खूब। अगर इसे पढ़ने के बाद आपको शुक्रिया न कहूं तो यह मेरी गलती होगी।
    अगर यह कहानी संग्रह आसपास कहीं मिले तो जरूर पढ़ना चाहूंगा।

  9. 9
    ramesh kapur Says:

    प्राण जी, आपने ब्लॉग पर उषा राजे सक्सेना जी की पुस्तक पर जो शानदार समीक्षात्मक लेख लिखा है बहुत संतुलित और वस्तुनिष्ट है. इससे पाठकों को न सिर्फ़ पुस्तक के सम्बन्ध मैं जानकारी मिलेगी अपितु उन्हें पुस्तक पढने की प्रेरणा भी मिलेगी जो की सार्थक साहित्य का उद्देश्य भी है. समीक्षा वास्तव मैं होनी भी ऐसी चाहिए जो पाठकों को साहित्य से जुड़ने के लिए प्ररित करे न की अपने नकारात्मक प्रभाव से उन्हें विमुख कर दे. लेखिका को इस रचना के लिए तथा आपको एक सकारात्मक और संतुलित समीक्षा के लिए बधाई. एक सुझाव देना चाहूँगा. जैसा की अन्य ब्लॉग लेखकों के परिचय के साथ उनका संपर्क सूत्र भी देते हैं, आप भी दे सकें तो लेखक पाठक के बीच प्रत्यक्ष संवाद स्थापित हो सकेगा. धन्यवाद. रमेश कपूर , संपादक कथा शिखर, नई दिल्ली ( ९८९१२५२३१४)


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