छोटी सी बिंदिया ! -3 क्षणिकाएं
– महावीर शर्मा
दुलहन
अलसाये नयनों में निंदिया, भावों के झुरमुट मचलाए
घूंघट से मुख को जब खोला, आंखों का अंजन इतराए
फूल पर जैसे शबनम चमके,दुलहन के माथे पर बिंदिया।
मुस्काए माथे पर बिंदिया।
मुजरा
तबले पर ता थइ ता थैया, पांव में घुंघरू यौवन छलके
मुजरे में नोटों की वर्षा, बार बार ही आंचल ढलके
माथे से पांव पर गिर कर, उलझ गई घुंघरू में बिंदिया
सिसक उठी छोटी सी बिंदिया !
सीमा के रक्षक
दूर दूर तक हिम फैली थी, क्षोभ नहीं था किंचित मन में
गर्व से ‘जय भारत’ गुञ्जारा, गोली पार लगी थी तन में
सूनी हो गई मांग प्रिया की, बिछड़ गई माथे से बिंदिया।
छोड़ गई कुछ यादें बिंदिया।
– महावीर शर्मा
ओह ! कुछ कहना मेरे बस में नहीं. मौन हूँ.
प्रणाम !
bhut hi sundar rachana.sundar bhav.badhai ho.
bahut hi sundar,bindiya ka har bhav srhungar se leke vigoy tak bahut badhai
आदरणीय महावीर जी,
मन को नम कर देने वाली क्षणिकायें है। बहुत गहरी और बेहद पैनी..
***राजीव रंजन प्रसाद
संवेदनशील क्षणिकएं
दीपक भारतदीप
bahut hee sundar rachnayen.
bahut hi badhiya kshanikayen
सुंदर क्षणिकाएं हैं। पाठकीय संवेदना को जगानेवाली।
बहुत सुंदर क्षणिकायें है।
अति सुन्दर. भावपूर्ण. बेहतरीन क्षणिकाऐं.
महावीर जी बहुत सुन्दर रचना।
बहुत बढ़िया, अति सुन्दर!
आदरणीय महावीर जी,
तीनोँ अलग विषय पर क्षिणिकायेँ !
एक से बढकर एक हैँ..
सादर,
स स्नेह,
-लावण्या
sab alag alag rang…aabhaar
वरिष्ठ लेखक, समीक्षक, ग़ज़लकार श्री प्राण शर्मा जी ने निम्न लिखित ईमेल भेजा हैजिसके लिए मेरा हार्दिक धन्यवाद!
Aadarniya Mahavir jee,
Chhotee see bindiye
Kyon naa churaaye
Nindiya. Chhotee-
chhotee kavitaon mein
aapne jaan daal dee hai.
Agar ye kaun ke aapne
gaagar mein saagar bhar
diya hai to koee atishyokti
nahin hai.Aapkee lekhnee
ko choomne ko jee chaahtaa
hai.Badhaee
Pran Sharma
आदरणीय शर्मा जी,
सादर नमन!
संयोग श्रृंगार से लेकर वियोग तक का लंबा सफ़र तीन क्षणिकाओं में बहुत खूबसूरती से समेटा है आपने…दिल को छू गईं ये क्षणिकाएं….बहुत-बहुत बधाई…
— डा. रमा द्विवेदी
एक से बढ़ कर एक।
दिल को छू गई सभी।
doosri aur teesri khanikaayen dil ko chhoo gayi…bahut sundar aur bhaavpoorn.
बहुत अच्छी लगी आपकी क्षणिकायें …बधाई
आदरणीय महावीर जी सर ,
आपकी क्षणिकायें बहुत अच्छी लगी ,
सादर
हेम ज्योत्स्ना
क्षणिकाएं देखन में छोटी लगें, घाव करें गम्भीर की तर्ज पर लिखी गयी हैं, बधाई।
बहुत दिनो बाद आ सकी….और आते ही अभिभूत हो गई…मेरे पास शब्द नही हैं
आदरणीय महावीर जी,
आपकी इन क्षणिकाओं से तो हमारा दिल भर आया। एक कोने में जाकर छुपकर चुपके से रोने को दिल चाहा।