‘बापू जी’ की पुण्य-तिथि पर श्रद्धा-सुमन
आज से ठीक ६० वर्ष पहले
“एक अर्द्ध-नग्न बूढ़ा जो ग्रामीण भारत में बसता था,उसके निधन पर मानवता रोई!” – लूइस फिशर (१८७६-१९७०)।
मानवता आज भी ‘बापू’ को खोज रही है, समय की धूल से ढके हुए उसके पद-चिन्हों को ढूंढ रही है। गांधी जी के साथ ‘महात्मा’ शब्द जोड़ने का साहस मुझ में नहीं है,क्योंकि उन्होंने एक बार कहा था,”इस महात्मा की पदवी ने मुझे बड़ा कष्ट पहुंचाया है,और मुझे एक क्षण भी ऐसा याद नहीं जब इसने मुझे गुदगुदाया हो।”
हाँ, ‘बापू’ संबोधित करते हुए ऐसा लगता है जैसे महात्मा, संत, मसीहा आदि अनेक गुण-वाचक शब्द स्वतः ही ‘बापू’ शब्द में समाहित हो गए हों।
लंदन में लगभग हर मास गांधी जी के पद-चिन्हों पर चलते हुए उनकी यादें ताज़ा रखने के लिए ‘गांधी जी के लंदन की पद-यात्रा’ (Gandhi’s London Walk) का आयोजन किया जाता है। आगामी पद-यात्रा १६ फरवरी २००८ के दिन निश्चित की गई है।
२१ जुलाई २००७ की एक ऐसी ही पद-यात्रा का हाल ‘यूट्यूब’ द्वारा देखिए और सुनिएः-
महावीर शर्मा