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दिसम्बर 18, 2008
आओ पीछे लौट चलें……
स्वर्गीय महाकवि सुमित्रा नंदन पंत की मानस पुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद की सुपुत्री रश्मि प्रभा को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है फिर भी उन्हीं के शब्दों में उनका परिचय पढ़िएः
मैं रश्मि प्रभा…सौभाग्य मेरा कि मैं कवि पन्त की मानस पुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद
की बेटी हूँ और मेरा
नामकरण स्वर्गीय सुमित्रा नंदन पन्त ने किया और मेरे नाम के साथ अपनी स्व रचित पंक्तियाँ मेरे नाम की…”सुन्दर जीवन का क्रम रे, सुन्दर-सुन्दर जग-जीवन” , शब्दों की पांडुलिपि मुझे विरासत मे मिली है. अगर शब्दों की धनी मैं ना होती तो मेरा मन, मेरे विचार मेरे अन्दर दम तोड़ देते…मेरा मन जहाँ तक जाता है, मेरे शब्द उसके अभिव्यक्ति बन जाते हैं, यकीनन, ये शब्द ही मेरा सुकून हैं…”
आओ पीछे लौट चलें……
बहुत कुछ पाने की प्रत्याशा में
हम घर से दूर हो गए !
जाने कितनी प्रतीक्षित आँखें
दीवारों से टिकी खड़ी हैं –
चलो उनकी मुरझाई आंखों की चमक लौटा दें !
सूने आँगन में धमाचौकड़ी मचा दें
– आओ पीछे लौट चलें………..
आगे बढ़ने की चाह में
हम रोबोट हो गए
दर्द समझना,स्पर्श देना भूल गए !
दर्द तुम्हे भी होता है,
दर्द हमें भी होता है,
दर्द उन्हें भी होता है
– बहुत लिया दर्द, अब पीछे लौट चलें……….
पहले की तरह,
रोटी मिल-बांटकर खाएँगे,
एक कमरे में गद्दे बिछा
इकठ्ठे सो जायेंगे …
कुछ मोहक सपने तुम देखना,
कुछ हम देखेंगे –
आओ पीछे लौट चलें…………………
रश्मि प्रभा
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