डॉ. मधु संधु
शिक्षा : एम. ए. पी.एच. डी.(हिंदी)
पी.एच.डी. का विषय : सप्तम दशक की हिन्दी कहानी में महिलाओं का योगदान
सम्प्रति :गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफ़ेसर एवं विश्विद्यालय अनुदान की बृहद शुद्ध परियोजना की प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर(२०१०-२०१२)
प्रकाशित साहित्य:
कहानी संग्रह : (१) नियति और अन्य कहानियां, दिल्ली, शब्द संसार, २००१, (२) आवाज़ का जादूगर, नेशनल, (प्रकाशाधीन).
कहानी संकलन : (३) कहानी शृंखला, दिल्ली, निर्मल, २००३.
गद्य संकलन: (४) गद्य त्रायी, अमृतसर, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, २००७.
आलोचनात्मक एवं शोधपरक साहित्य : (५) कहानीकार निर्मल वर्मा, दिल्ली, दिनमान, १९८२. (६) साठोत्तर महिला कहानीकार, दिल्ली, सन्मार्ग, १९८४, (७) कहानी कोष, (१९५१-१९६०) दिल्ली, भारतीय ग्रन्थम, १९९२, (८) महिला उपन्यासकार, दिल्ली, निर्मल, २०००. (९) हिन्दी लेखक कोष, (सहलेखिका) अमृतसर, गुरु नानक देव वि.वि., २००३, (१०) कहानी का समाजशास्त्र, दिल्ली, निर्मल, २००५. (११) कहानी कोष, (१९९१-२०००) दिल्ली, नेशनल, २००९.
सम्पादन : (१२) प्राधिकृत (शोध पत्रिका) अम्रृतसर, गुरु नानक देव वि.वि., २००१-०४).
समकालीन भारतीय साहित्य, हंस, गग्नचल, परिशोध, प्राधिकृत, वितस्ता, कथाक्रम, संचेतना, हरिगंधा, परिषद पत्रिका, पंजाब सौरभ आदि अनेक उच्च कोटि की पत्रिकाओं में सौ के आसपास शोध पत्र तथा सैंकड़ों आलेख, कहानियां, लघु कथाएं एवं कवितायें प्रकाशित. पच्चास से अधिक शोध प्रबन्धों एवं शोध अनुबंधों का निर्देशन.
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लघुकथा
‘हिन्दी दिवस’
पूरे दिवस से विद्वजन आमंत्रित करके इस बार हिन्दी दिवस का आयोजन राजधानी में बड़ी धूमधाम से किया गया. राष्ट्र भाषा निदेशक ने लगभग सभी राज्यों से हिंदी संस्थानों के मुखियाओं, विश्वविद्यालयों के हिन्दी विभागाध्यक्षों को आमंत्रित किया. तीन दिन लगातार समारोह चला. सारी ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग की गई. समाचार पत्रों ने जमकर कवरेज दी.
पंजाब के प्रतिनिधि ने ठोक बजा कर कहा -हिन्दी भाषा तब तक जीवित रहेगी, जब तक रामचरित मानस और गुरुग्रंथ साहिब हैं. इसं अमर कृतियों के कारण हिन्दी भी अमर रहेगी.
गुजरात के प्रवक्ता बूले – जिस भाषा में नामदेव और तुलसी की कृतियाँ उपलब्ध हैं, उस पर कभी आंच नहीं आ सकती.
डी. ए. वी. संस्था के प्राचार्य का अभिमत था -सत्यार्थ प्रकाश और रामचरित मानस हिन्दी और हिन्दुस्तान का सर सदैव ऊँचा रखेंगे.
बंगाल मौशाय ने बुलंद स्वर में कहा -मानस और गीतांजलि हिन्दी और हिन्दुस्तान का पर्याय बन चुके हैं.
यू.पी. के पंडित जी ने मंच ठोक कर कहा -मानस और गोदान हिन्दी का प्राण तत्व हैं.
सरकारी पैसे पर मारीशस चक्कर लगा कर लौटे एक विद्वान बोले- रामचरित मानस और लाल पसीना हिन्दी के अमर ग्रन्थ हैं.
राजस्थान के विद्वान ने कहा -हिन्दी के महिला साहित्य का सूत्रपात मीराबाई द्वारा ही होता है. मीरा विश्व की प्रथम विद्रोहिणी थी, प्रथम फेमिनिस्ट थी. उसके कारण यह आधी दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है.
हिमाचल वालों ने यह श्री निर्मल वर्मा को दिया. बिहार ने फणीश्वर नाथ रेणु का नाम लिया और लम्ब चौड़े टी.ए.डी.ए. बिलों के साथ विदाई समारोह संपन्न हो गया.
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लघुकथा
बहन ने पानी का गिलास पकड़ाते पूछा, “भैया तबियत ज्यादा खराब लगती है. दवा समझा दें, मैं समय पर देती रहूँगी.”
“पर दवा मिली कहाँ? दोनों डॉक्टर किसी मीटिंग पर गए थे.” स्वर में निराशा ही नहीं, हताशा भी थी.
माँ विस्मित थी, “लल्ला मैं अभी डॉक्टर को कांख का गूमड़ दिखा कर आ रही हूँ, इतनी जल्दी निकल गई क्या?”
“तो क्या मैं लेडी डॉक्टर के पास जाता.” आहात मर्दानगी में वह बौखला उठा.
डॉ. मधु संधु,
प्रोफ़ेसर,
हिन्दी विभाग, गुरुनानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर – १४००५, पंजाब, भारत.
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पहली लघुकथा में जिस तरह हिन्दी के प्रचार-प्रसार के नाम पर क्षेत्रवाद का प्रसार दर्शाया वह कटु सत्य है और बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है आपने.. वहीँ दूसरी लघुकथा में पुरुषवादी मानसिकता का ये पहलू पहली बार किसी लघुकथा में देखा.. दोनों ही सुन्दर और सन्देश देती रचनाएं हैं आभार..
बहुत उम्दा कटाक्ष है दोनों लघु कथाओं मॆ. लेखिका को बधाई.
दोनों ही लघु कथाओं ने प्रभावित किया….
regards
Hindi Divas mein dhardae vyanya hai. Doosari bhi vyanya ka put liye huye hai. Donon achhi laghukathayen hain.
Badhai Madhu ji ko.
Dr. Chandel
donon laghu kathaon ka shilp aur bhasha kamjor laga. kthya ko behtar tareeke se abhivyakt kiya ja sakta hai. prayas sarahneey.
regarding madhu mem ,
pranam,
dono laghu kathae alag alag mizaz ki hai ,dono hi bodh karti hai rachnaye , sadhuwad mem , ek naya roop dikhna ke liye,
sadhuwad
मधु जी की कथाएँ पसंद आयीं
– महिला रचनाकारों से व्यग्य की धार लिए कथाएँ
कम पढने को मिलतीं हैं
हां एक सुझाव नम्रता से दे रही हूँ –
गुजराती लोगों ने नरसी मेहता का नाम लेना था
और महाराष्ट्रीय लोगों द्वारा नामदेव का !
सादर स – स्नेह,
– लावण्या
Madhu jee ki dono laghu kathaen achchhi lageen . meri aur se badhai, tatha shubh kamnaen
धन्यवाद ।