दीवाली के दीप जले – ‘फ़िराक़’ गोरखपुरी

दीपक की ज्योति की भांति आप सभी के जीवन भी सदैव उज्वलित रहें।
दीपावली के अवसर पर आप सब को शुभकामनाएं !

महावीर शर्मा

**************

‘दीवाली के दीप जले’ – रघुपति सहाय ‘फ़िराक़’ गोरखपुरी

कालजयी शायर रघुपति सहाय श्रीवास्तव ‘फ़िराक़’ गोरखपुरी की एक ग़ज़ल

दे रहा हूं जिसका शीर्षक हैः “दीवाली के दीप जले”। फ़िराक़ गोरखपुरी को उनकी

कृति ‘गुले-नग़मा’ के लिए १९६० में साहित्य अकादमी पुरस्कार और १९६९ में

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

‘फ़िराक़’ गोरखपुरी

नई हुई फिर रस्म पुरानी दीवाली के दीप जले
शाम सुहानी रात सुहानी दीवाली के दीप जले

धरती का रस डोल रहा है दूर-दूर तक खेतों के
लहराये वो आंचल धानी दीवाली के दीप जले

नर्म लबों ने ज़बानें खोलीं फिर दुनिया से कहन को
बेवतनों की राम कहानी दीवाली के दीप जले

लाखों-लाखों दीपशिखाएं देती हैं चुपचाप आवाज़ें
लाख फ़साने एक कहानी दीवाली के दीप जले

निर्धन घरवालियां करेंगी आज लक्ष्मी की पूजा
यह उत्सव बेवा की कहानी दीवाली के दीप जले

लाखों आंसू में डूबा हुआ खुशहाली का त्योहार
कहता है दुःखभरी कहानी दीवाली के दीप जले

कितनी मंहगी हैं सब चीज़ें कितने सस्ते हैं आंसू
उफ़ ये गरानी ये अरजानी दीवाली के दीप जले

मेरे अंधेरे सूने दिल का ऐसे में कुछ हाल न पूछो
आज सखी दुनिया दीवानी दीवाली के दीप जले

तुझे खबर है आज रात को नूर की लरज़ा मौजों में
चोट उभर आई है पुरानी दीवाली के दीप जले

जलते चराग़ों में सज उठती भूके-नंगे भारत की
ये दुनिया जानी-पहचानी दीवाली के दीप जले

भारत की किस्मत सोती है झिलमिल-झिलमिल आंसुओं की
नील गगन ने चादर तानी दीवाली के दीप जले

देख रही हूं सीने में मैं दाग़े जिगर के चिराग लिये
रात की इस गंगा की रवानी दीवाली के दीप जले

जलते दीप रात के दिल में घाव लगाते जाते हैं
शब का चेहरा है नूरानी दीवाले के दीप जले

जुग-जुग से इस दुःखी देश में बन जाता है हर त्योहार
रंजोख़ुशी की खींचा-तानी दीवाली के दीप जले

रात गये जब इक-इक करके जलते दीये दम तोड़ेंगे
चमकेगी तेरे ग़म की निशानी दीवाली के दीप जले

जलते दीयों ने मचा रखा है आज की रात ऐसा अंधेर
चमक उठी दिल की वीरानी दीवाली के दीप जले

कितनी उमंगों का सीने में वक़्त ने पत्ता काट दिया
हाय ज़माने हाय जवानी दीवाली के दीप जले

लाखों चराग़ों से सुनकर भी आह ये रात अमावस की
तूने पराई पीर न जानी दीवाली के दीप जले

लाखों नयन-दीप जलते हैं तेरे मनाने को इस रात
ऐ किस्मत की रूठी रानी दीवाली के दीफ जले

ख़ुशहाली है शर्ते ज़िंदगी फिर क्यों दुनिया कहती है
धन-दौलत है आनी-जानी दीवाली के दीप जले

बरस-बरस के दिन भी कोई अशुभ बात करता है सखी
आंखों ने मेरी एक न मानी दीवाली के दीप जले

छेड़ के साज़े निशाते चिराग़ां आज फ़िराक़ सुनाता है
ग़म की कथा ख़ुशी की ज़बानी दीवाली के दीप जले

***********

14 Comments »

  1. 1
    MEET Says:

    बरस-बरस के दिन भी कोई अशुभ बात करता है सखी
    आंखों ने मेरी एक न मानी दीवाली के दीप जले

    छेड़ के साज़े निशाते चिराग़ां आज फ़िराक़ सुनाता है
    ग़म की कथा ख़ुशी की ज़बानी दीवाली के दीप जले

    प्रणाम ! कमाल के शायर की कमाल रचना पढ़वाई इस मौक़े पर. जी में आता है ज़ोर से पढूँ …. लेकिन दफ़्तर में हूँ. ‘गुल-ए-नग़मा’ से एक और रचना की फरमाइश करूँगा कभी … नज़्म याद आ रही है उन्वान कुछ भूल सा रहा हूँ ………. शायद “जुगनूँ”. पुस्तक की मेरी प्रति किसी महापुरुष ने अपना ली .. और मुझे मिल नहीं रही बाज़ार में …..

    आप को और आप के समस्त परिवार को, दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.

  2. दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
    दीवाली आप के और आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि लाए!

  3. 3
    kanchan Says:

    कितनी मंहगी हैं सब चीज़ें कितने सस्ते हैं आंसू
    उफ़ ये गरानी ये अरजानी दीवाली के दीप जले

    रात गये जब इक-इक करके जलते दीये दम तोड़ेंगे
    चमकेगी तेरे ग़म की निशानी दीवाली के दीप जले

    बरस-बरस के दिन भी कोई अशुभ बात करता है सखी
    आंखों ने मेरी एक न मानी दीवाली के दीप जले

    bahut sundar….! Deepawali mangalmay ho..!

  4. 4
    limit Says:

    दीप मल्लिका दीपावली – आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

  5. 5
    alpana Says:

    दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

  6. फिराक साहब की गजल पढवाने का शुक्रिया।

    दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।

  7. फिराक साहब को पढ़वाने का आपका आभार.

    दीपावली पर आप के और आप के परिवार के लिए

    हार्दिक शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    http://udantashtari.blogspot.com/

  8. 8
    Lavanya Says:

    फिराक साहब ने स्वात: अनुभव से पगी कविता लिखी जो आपने पढवा दी – दीप जगमग जलेँ दीवाली पर अनेकोँ शुभकामनाएँ 🙂

  9. दीपावली की समस्त शुभकामनायें गुरूवर और इतनी सुंदर रचना की प्रस्तुती के लिये धन्यवाद.मीत जी ने जो “जुगनू” नज्म की फ़रमाईश की है वो मेरी भी पसंदीदा रचनाओं में से एक रही है.फ़िराक साब की बहुत लंबी रचना ये-जितनी बार पढ़िये,एक नया मोड़ मिलता है.कुछ पंक्तियाँ उद्‍धृत करता हूँ:-
    ये मस्त-मस्त घटा ये भरी-भरी बरसात
    तमाम हद्‍दे-नजर तक घुलावटों का समाँ !
    फ़जा-ए-शाम में डोरे-से पड़ते जाते हैं
    जिधर निगाह करें कुछ धुआँ-सा उठता है
    दहक उठा है तरावत की आँच से आकाश
    ज़े-फ़र्श-ता-तलक अँगड़ाईयों का आलम है
    ये मद भरी हुई पुर्वाइयाँ सनकती हुई
    झिंझोड़ती हे हरी डालियों को सर्द हवा
    ये शाखसार के झूलों में पेंग पड़ते हुए
    ये लाखों पत्तियों का नाचना ये रक्से-नबात
    ये बेखुदी-ए-मसर्रत ये वालहाना रक्स
    ये ताल-सम ये छमाछम कि कान बजते हैं
    हवा के दोश पे कुछ ऊदी-ऊदी शकलों की
    नशे में चूर-सी परछाईयाँ थिरकती हुई
    उफ़ुक पे डूबते दिन की झपकती हैं आँखें
    खामोश सोजे-दरूँ से सुलग रही है ये शाम
    ……..एक तो मेरी टाइपिंग-गति बहुत धीमी है और दूजा इंटरनेट की मद्‍धिम रफ्तार जानलेवा है.

  10. गुरूवर ये रात करवटों में जाने वाली है…पचीसों बार तो अपनी पत्नी को बता चुका हूँ कि महावीर जी ने मेरी गज़ल की तारिफ़ की है.

  11. 11
    mehek Says:

    जलते चराग़ों में सज उठती भूके-नंगे भारत की
    ये दुनिया जानी-पहचानी दीवाली के दीप जले

    भारत की किस्मत सोती है झिलमिल-झिलमिल आंसुओं की
    नील गगन ने चादर तानी दीवाली के दीप जले
    bahut marmik,diwali ke dep roushani mein kuch zindagi ke andhere bhi hai,bahut achhi gazal

  12. आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

    सादर

  13. 13

    Bahut sunder,
    apko S-PARIWAR deep parw ki hardik subhkamnaye.

    Sadar
    Ravi

  14. 14

    बहुत खूबसूरत गज़ल पढवाने के लिए शुक्रिया


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