ब्रिटिश संसद में एक बार फिर गूंजी हिन्दी

यू.के. की डायरी सेः

स्वतन्त्रता-दिवस पर भारत और विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीयों को हार्दिक
शुभकामनाएं।
महावीर शर्मा

‘ब्रिटिश संसद में एक बार फिर गूंजी हिन्दी’

(लंदन – 28 जून) ब्रिटिश संसद के उच्च सदन हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में एक बार फिर गूंजी हिन्दी। ब्रिटिश सरकार के आंतरिक सुरक्षा राज्य मन्त्री टोनी मैक्नलटी ने शुक्रवार की शाम सुप्रसिद्ध लेखिका नासिरा शर्मा को उनके उपन्यास कुइयां जान के लिये 14वां अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान प्रदान किया। इस अवसर पर उन्होंने ब्रिटेन के हिन्दी लेखकों के लिये स्थापित पद्मानंद साहित्य सम्मान से यॉर्क की उषा वर्मा को सम्मानित किया।

कथा यू.के. द्वारा हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में आयोजित सम्मान समारोह में ब्रिटेन के आंतरिक सुरक्षा राज्य मंत्री टोनी मैक्नलटी ने हिन्दी में अपने भाषण की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि राजा और रानियां, मन्त्री और प्रधान मन्त्री भुला दिये जाते हैं, लेकिन साहित्य को लोग याद रखते हैं। आज हम शेक्सपीयर को ज़रूर जानते हैं लेकिन यह नहीं जानते कि उस समय के राजा या प्रधान मन्त्री कौन थे। उन्होंने कहा कि लेखकों और दार्शिनिकों ने हमारे इतिहास और सभ्यता का निर्माण किया। हम राजनेताओं ने नहीं।

टोनी मैक्नलटी ने अपने बचपन का हवाला देते हुए कहा कि उसके पिता चौदह साल की उम्र में आयरलैण्ड से लन्दन आकर बस गये थे। उस समय अंग्रेज़ी का ठीक उच्चारण न कर पाने कि लिये आयरिश लोगों का मज़ाक उड़ाया जाता था। लेकिन आज हम सभी जानते हैं कि आयरलैण्ड की परम्परा और संस्कृति किसी से भी कम नहीं है। उन्होंने ब्रिटेन में बसे एशियाई लेखकों की चर्चा करते हुए कहा कि हम अंग्रेज़ भले ही उनकी भाषा न समझें लेकिन हमें उनकी भावना और उत्साह का आदर करना चाहिए क्योंकि वे बड़ी संस्कृतियों के वारिस हैं। आज उनकी नई पीढ़ी पूरब और पश्चिम की संस्कृति के बीच दुविधाग्रस्त खड़ी है। उन्होंने आगे कहा कि राजनेताओं के लिये सबसे अधिक ख़ुशी का क्षण वह होता है जब वे साहित्य का आनन्द उठाते हैं। कारण कि साहित्य किसी देश राष्ट्र, भाषा, जाति जैसी सभी सीमाओं से लांघ कर पूरी मानवता की बात करता है। इसीलिये मैं कथा यू.के. के काम की सराहना करता हूं और संरक्षक के रूप में इससे जुड़ा हूं।

लेबर पार्टी की काउन्सलर ज़कीया ज़ुबैरी ने इस बात पर चिन्ता प्रकट की कि एशियाई समाज की नई पीढ़ी अपनी मातृ भाषाओं से लगातार दूर होती जा रही है। ब्रिटेन में पहली पीढ़ी के आप्रवासी ही अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि यह एशियाई लोगों की घर घर की कहानी है कि उनके बच्चे लगातार उनकी संस्कृति से दूर जा रहे हैं। हमारे लेखकों को इस बारे में भी सोचना चाहिए। कथा यू.के. ने उन उम्दा किताबों को सम्मानित करती रही है जिन पर भारतीय आलोचकों ने ठीक से ध्यान नहीं दिया। इस प्रकार कथा यू.के. ने उस श्रेष्ठ साहित्य को सम्मानित किया है जो किसी वजह से हाशिये पर चला गया था।

कथा यू.के. के महासचिव तेजेन्द्र शर्मा ने कहा कि ब्रिटिश संसद में हिन्दी की बात करके हम सच्चे अर्थों में विश्व बंधुत्व की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने टोनी मैक्नलटी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, कि उन्होंने हिन्दी को स्वीकृति दे कर, ब्रिटेन की लोकतांत्रिक परम्परा को आगे बढ़ाया है। इस अवसर पर उन्होंने ब्रिटेन में बसे हिन्दी प्रेमियों के लिये, भारतीय प्रकाशकों के सहयोग से, कथा यू.के. द्वारा एर बुक क्लब शुरू करने की सूचना दी। इसके माध्यम से यहां के हिन्दी पाठकों को श्रेष्ठ हिन्दी पुस्तकें घर बैठे उपलब्ध हो सकेंगी।

साक्षात्कार और रचना समय के संपादक हरि भटनागर ने नासिरा शर्मा कि पुरस्कृत कृति कुइयांजान का परिचय देते हुए कहा, “कुइयांजान मनुष्य की आदिम प्यास – एक तरह से मनुष्य की जिजीविषा – जद्दोजहद का पर्याय है – लेखिका ने इसी जिजीविषा को उपन्यास की विषयवस्तु बनाया है और इसी के बहाने वह भारतीय समाज की अंतरंग जीवन झांकी प्रस्तुत करती है। अपने कहन में उपन्यास सुख-दुख, प्यार-मुहब्ब्त, विडम्बना का एक ज्वलन्त रचनात्मक दस्तावेज़ है जिसके बयान में कहीं अश्रुगलित भावुकता नहीं, कहीं चीख़-पुकार नहीं। उपन्यास अपनी जातीय परम्परा की एक कड़ी है – एक रचनात्मक इतिहास है। अपने शिल्प में यह उपन्यास आधुनिक गद्य लेखन का ऐसा नमूना है जिसमें भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, बालकृष्ण भट्ट से लेकर मुंशी प्रेमचन्द, निराला और हरिशंकर परसाई के गद्य शिल्प का विकसित नव्यरूप देखा जा सकता है।”

इस अवसर पर अपने आभार वक्तव्य में नासिरा शर्मा ने कहा, कि कुइयां जान हमारी परम्परा और रिश्तों की प्यास की बात करत है। पानी रिश्तों को प्रभावित करता है। मैनें इस उपन्यास में मौसम की ख़ुशबू और बदबू को दिखाने की कोशिश की है। तेजेन्द्र शर्मा ने मेरे लिये एक ऐसा नया रास्ता खोला जिससे ज़िन्दगी और मुहब्बत की दोबारा शुरूआत हो सकती है। मैनें अपने शहर इलाहाबाद पर चार उपन्यास लिखे लेकिन उस शहर ने मुझे कभी नहीं बुलाया। ब्रिटेन आने के लिये वीज़ा हासिल करने की प्रक्रियाओं से गुज़रते हुए मुझे अहसास हुआ कि हम लेखक, दुनियां के सबसे मज़लूम और मुसीबतज़दा लोग हैं।

पद्मानंद साहित्य सम्मान प्राप्त करने वाली उषा वर्मा ने प्रवासी जीवन में हिन्दी लेखन की समस्याओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि निरन्तर लेखन में कई प्रकार की बाधाएं खड़ी हो जाती हैं। लेखन की गाड़ी रुक रुक कर चलती है। ऐसे में जब हमारे साहित्य को पहचाना जाता है और उसकी प्रशंसा होती है तो मन में कहीं अच्छा तो लगता है। संघर्ष उदासी और आकांक्षाएं – सबको रचना में समेटना आसान नहीं होता। हम लेखक मनके दर्द को रचना में डालते हैं। ब्रिटेन में दक्षिण एशियाई परिवारों के बीच काम करते हुए मुझे जो अनुभव हुए उन्हें ही मैने अपनी रचना का आधार बनाया है। उषा जी ने अपने बचपन की यादों को भी श्रोताओं के साथ बांटा और कथा यू.के. को धन्यवाद दिया।

लंदन में भारतीय उच्चायोग के हिन्दी एवं संस्कृति अधिकार राकेश दुबे ने उषा वर्मा के पुरस्कृत कथा संग्रह कारावास का परिचय दिया। सनराइज़ रेडियो के प्रसारक रवि शर्मा ने कुइयां जान के अंशों का अभिनय पाठ किया। वरिष्ठ पत्रकार श्री अजित राय ने नासिरा शर्मा के मानपत्र का पाठ किया वहीं मुंबई की मधुलता अरोड़ा ने उषा वर्मा का मानपत्र पढ़ा। कार्यक्रम का संचालन डा. निखिल कौशिक ने किया।

बीबीसी हिन्दी सेवा के पूर्व प्रमुख कैलाश बुधवार, प्रगतिशील लेखक संघ के सचिव के.सी. मोहन, वरिष्ठ फ़िल्म पत्रकार सुमन्त मिश्र (मुंबई), कथा यू.के. के कोषाध्यक्ष रमेश पटेल, अमरदीप के संपादक जगदीश मित्तर कौशल, गीतांजलि (बरमिंघम) के अध्यक्ष डा. कृष्ण कुमार, सुप्रसिद्ध नाटककार इसमाइल चुनारा, भारतीय भाषा संगम के अध्यक्ष महेन्द्र वर्मा, ग़ज़लकार सोहन राही, इंदिरा आनंद, चंचल जैन, डा. वन्दना शर्मा, महेन्द्र दवेसर, कादम्बरी मेहरा, चित्रा कुमार, सहित कार्यक्रम में शामिल होने के लिये वेल्स, यॉर्क, बर्मिंघम एवं अन्य दूर दराज़ के शहरों से मीडिया, साहित्य, उद्योग एवं सांस्कृतिक क्षेत्र के प्रतिनिधि पहुंचे।

प्रेषकः तेजेन्द्र शर्मा
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13 Comments »

  1. 1

    अपनी हिन्दी जिंदाबाद…कथा यू.के. का ये प्रयास अत्यन्त सराहनीय है और इसकी जितनी प्रशंशा की जाए कम है….भाई तेजेंद्र शर्मा जी ने इसमें जो योगदान दिया है उसकी मिसाल ढूंढें नहीं मिलती…सबसे खास बात ये है की इंदु शर्मा पुरूस्कार से नवाजे साहित्यकार इसके पूरे हक़दार हैं, पुस्तक और लेखक चयन में पूरी इमानदारी बरती गयी है. ये बात ही इस पुरूस्कार को सबसे अलग और विशेष करती है.
    नीरज

  2. यही खबर मुझे और सूत्रों से भी मिली है, बस फर्क इतना है कि उन्होने कहा कि “टोनी ने हिंदी पर भाषण दिया” न कि “हिंदी में”

  3. महा वीर जी नमस्कार, १५ अगस्त आने वाली हे, उस दिन भारतीय उच्चायोग मे किस भाषा मे भाषण होगा यह जरुर बताये,देखे हिन्दी कॊ उस के बच्चे कितना प्यार करते हे,मेने तो जाना ही छोड दिया हम कुछ भारतिया अपने घर मे ही झण्डा फ़हरा कर अपना राष्ट्रिया गान करते हे, ओर हम मे से ही कुछ सज्जन हिन्दी मे बच्चो को अपने देश के बारे बताते हे,जबकि हमारे इस मोके पर गोरे भी होते हे,मुझे इन्तजार होगा अपने सवाल का.

  4. स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं.
    वंदेमातरम्!

  5. आदरणीय महावीर जी,

    प्रसन्न कर देने वाली रिपोर्ट् के लिये आभार।

    स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..

    ***राजीव रंजन प्रसाद

  6. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.

  7. हिन्दी इसी तरह विस्तार पाएगी अपने गुणों से…

    आजाद है भारत,
    आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
    पर आजाद नहीं
    जन भारत के,
    फिर से छेड़ें, संग्राम एक
    जन-जन की आजादी लाएँ।

  8. स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.

  9. सुखद लगा यह सुनना ……और यह आलेख पढ़ना !

  10. आ़ाज़ादी की शुभ कामनाएँ –
    सुँदर यादेँ बाँटने का आभार !

    – लावण्या

  11. टोनी मैक्नलटी ने सही कहा सच्चा साहित्यकार कभी नहीं मरता।

  12. 12
    Menka Says:

    aapke lekh se bahut saari jankaariyaan mili..iske liye dhanyabaad.
    lekh bahut hi achha laga.

  13. 13

    This is pride for Indian who love for their mother tonge


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